सुमंगल कामना लेकर,
व्रती छठ व्रत उठातें हैं।
बड़ी हुल्लास हर दिल में,
खुशी से झूम जातें हैं।।
सुर्य पूजन, बड़ी पावन,
रहे तन-मन, सदा चंगा।
उपासक में, लगन जागे,
सभी मिल गीत गातें हैं।।
नहा धोके, खड़े जल में,
लिये करसुप, अरग देतें।
चरण वंदन, करें दुनिया,
बड़ी मन को सुहातें हैं।
उदित के ये उपासक है,
रखें कल्याण की चाहत।
करें चिंता शकल जन का,
सुखी जीवन बितातें हैं।।
कृपा छठ का, रहे इन पे,
रहें खुशहाल हर-दम ये।
चरण वंदन, करूँ इनकी,
हमेशा सर, झुकातें हैं।।
– अनिरुद्ध कुमार सिंह
धनबाद, झारखंड