भेदभाव नफरत को छोड़ें,
मानव को मानव से जोड़ें।
सोना जीवन सफल बनायें,
आयें मंगल दीप जलायें।
स्वर्णिम आभा जग फैलायें,
हर्षित मानव मन मुस्काये।
अंधकार दुनिया से जाये,
आयें मंगल दीप जलायें।
जीवन दीप जले घरघर में,
जग को मोहे एक नजर में।
प्रेम ताल दुनिया इतराये,
आयें मंगल दीप जलायें।
जगमग दीपक दिप्त तिमिर में,
कुंदन सा झलके कणकण में।
चकाचौंध तन-मन हो जाये,
आयें मंगल दीप जलायें।
कुंठित मन चंदन हो जाये,
देश प्रेम के गीत सुनाये।
अनुरागी जीवन हो जाये,
आयें मंगल दीप जलायें।
अरुणिम रथ पर वरुण पधारे,
खुशी लुटाये सांझ सकारे।
प्राणी प्राणी सुर में गाये,
आयें मंगल दीप जलायें।
-अनिरुद्ध कुमार सिंह
धनबाद, झारखंड