देवों की इस देवभूमि में,
नहीं सुरक्षित बेटी आज।
हैवानों की हैवानियत को,
देख के रो रहा हिंदुस्तान।
पापा को था जिस पर नाज
लड़की होना क्या गुनाह है आज।
सपने लेकर निकली घर से,
पापा का सहारा बनूंगी आज।।
पता नहीं था नन्ही कली को,
देवभूमि में भी आ गये शैतान।
सपनों के बदले में मुझको,
गवानी पड़ेगी अपनी जान।।
जिस धरती पर मां गंगा, यमुना,
पाप सभी के धोती है ।
वही बेटी को फेंक दिया है,
आज मां गंगा भी रोती है।।
नन्हे फूल को मुरझा करके,।
किया घिनौना जो अपराध।
नारी का हर रूप न देखा,
अब क्या होगा दरिंदों के साथ।।
– ममता जोशी “स्नेहा”
लिखवार गांव, टिहरी गढ़वाल