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कविता- (अंकिता हत्या पर) – जसवीर सिंह हलधर

लाश देख आखें भर आयी, सीने में अंगारे हैं ।

चिड़िया दाना खोजन आयी, बाज झपट्टा मारे हैं ।।

 

बेबस औ लाचार कली को,तोड़ा है हत्यारों ने ।

देव भूमि में पैर पसारे दानव कुल मक्कारों ने ।

किसको दोषी मानें इसमें ,नेता या शहजादों को ।

भ्रष्टाचारी सरकारों को , या दल्ले  जल्लादों को ।

जलती चिता गवाही देती ,लपटों में यलगारे हैं ।।

लाश देख आंखें भर आयी सीने में अंगारे हैं ।।1।।

 

छोटी छोटी घटनाओं पर, आधी रात जगाते हैं ।

जालिम नेता कहाँ गए जो न्यायालय खुलवाते हैं ।

कोई अंतर नहीं दिखा हमको सरकारी भाषा में ।

कोयल उत्तर खोज रही है कौओं की परिभाषा में ।

फांसी तुरत लगाओ उनको जो जालिम हत्यारे हैं ।।

लाश देख आंखें भर आयी सीने में अंगारे हैं ।।2।।

 

पित्र पक्ष के पखवाड़े में यह अपराध किया जिसने ।

अपने हांथों ही पित्रों का दूषित श्राद्ध किया जिसने ।

देख देख कर इस घटना को, गंगा भी रोयी होगी ।

पर्वत पर बैठी नंदा ,क्रोधित आपा खोयी होगी ।

गुड़िया की चीखों से क्रोधित गांव गली चौबारे हैं ।।

लाश देख आंखें भर आयी सीने में अंगारे हैं ।।3।।

 

चौराहों पर मोम जलाकर , जमकर शोर मचाओ अब ।

क्षेत्रवाद का ज़हर खूब, अखबारों में छपवाओ अब ।

गुड़िया की अस्मत पर देखो चैनल कैसे बोलेंगे ।

शव विच्छेदन की आख्या को, विज्ञापन में तोलेंगे ।

सत्ता ने पैसे दे ” हलधर” मात पिता पुचकारे हैं ।।

लाश देख आंखें भर आयी सीने में अंगारे हैं ।।4।।

– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून

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