मनोरंजन

मेरी कलम से – डा० क्षमा कौशिक

दिया है रात भर पहरा निशा ने चांद तारों संग,

सुलाया गोद में अपनी सुना सपनों के सुंदर छंद,

उषा ने आ सजाया भोर का भरकर गुलाबी रंग,

कोयलिया कूकती उसमें प्रीत के भर सुनहरी रंग।

 

लय के तार पर सध कर , मधुर संगीत बनता हैं,

विचारों की कसौटी पर,शब्द संसार  कसता हैं,

कविता में निखर कर भाव का संसार सजता है।

दिलों में प्रेम बस जाए सुखद संसार लगता है।

डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड

Related posts

अक्षय तृतीया – सुनील गुप्ता

newsadmin

धरा का अमृत (सानेट) – प्रो. विनीत मोहन औदिच्य

newsadmin

याद आए पापा – रेखा मित्तल

newsadmin

Leave a Comment