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कॉमेडियन राजू भैया – डा० नीलिमा मिश्रा

राजू भैया की कॉमेडी,याद करें हम नमन करें।

शब्दों की माला अर्पित हो,भाव सुमन का चयन करें ।।

 

तीर चलाते थे व्यंग्यों के, अनुपम उनकी शैली थी ।

कनपुरिया बोली भाषा के,उस गौरव का श्रवण करें ।।

 

षड्यंत्री नेता-अभिनेता,कोई नहीं बचा उनसे।

राजनीति के हर रावण का,राजू भैया दहन करें।

 

दूल्हा और बराती सबकी,नब्ज़ पकड़ते थे राजू ।

शादी में घनचक्कर बनके,पूरे सातों वचन करें ।।

 

शोले के गब्बर से ठाकुर, वीरू-जय से लड़वाए ।

बाबा राम-रहीमा सारे, उन्हें देखकर भजन करें ।।

 

जीना-मरना चक्र जगत का,जो आया वो जायेगा।

आज विदा की बेला में हम, श्रद्धा अर्पण सुमन करें ।।

 

हँसते रहे हँसाये सब को, सबके दिल में बसे हुए ।।

कहे नीलिमा प्रभु चरणों में, राजू भैया रमण करें ।।

– डा० नीलिमा मिश्रा ,प्रया

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