रैन दिवस लेखन चले,
वृक्ष भावना का फले।
स्वाभिमान निखरे अगर,
हिंदी का दीपक जले।
आशाओं की चाँदनी,
माँगा करती हौंसले।
हारे का हरि नाम है,
हाथ नहीं साहस मले।
रहे जहाँ पर एकता,
दाल नहीं अरि की गले।
संस्कृति भाषा श्रेष्ठ मम,
भाव सदा उर में पले।
छोटी सी है जिंदगी,
जी मुस्कानों के तले।
– मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश .