ओ मनवा मृग बावरे….
ओ मनवा मृग बावरे….
सुन रे! हठीले;
पंथ कंटीले;
समझे जिन्हें गुलाब रे….
ओ मनवा मृग बावरे….
ओ मनवा मृग बावरे….
कोई न अपना;
मिथ्या सपना;
माया का भटकाव रे….
ओ मनवा मृग बावरे….
ओ मनवा मृग बावरे….
कब तक दाना;
अरे! पता ना;
कब आ जाये बुलाव रे….
ओ मनवा मृग बावरे….
ओ मनवा मृग बावरे….
रिश्ता नाता;
कौन निभाता;
दौलत देख लगाव रे….
ओ मनवा मृग बावरे….
ओ मनवा मृग बावरे….
मेरा तेरा;
तज सब फेरा;
मिटें स्वयं संताप रे….
ओ मनवा मृग बावरे….
ओ मनवा मृग बावरे….
हाय – माया;
क्या कुछ पाया ?
करके देख हिसाब रे….
ओ मनवा मृग बावरे….
ओ मनवा मृग बावरे….
क्षणिक सी लहरें;
कब तक ठहरें;
मिटें सजह ही झाग रे….
ओ मनवा मृग बावरे….
ओ मनवा मृग बावरे….
हरि सुमिरन कर;
सब अर्पन कर;
जन्म सफल हो आप रे….
ओ मनवा मृग बावरे….
ओ मनवा मृग बावरे….
बन मृग कृष्णा;
तज मृग तृष्णा;
आतप-उदक लुभाव रे….
ओ मनवा मृग बावरे….
ओ मनवा मृग बावरे….
ओ मनवा मृग बावरे….
ओ मनवा मृग बावरे….
– भूपेन्द्र राघव…खुर्जा , उत्तर प्रदेश