माँ भारती अनवरत रो रही हैं
कितने सपूतों को खो रही हैं।
चीख रहा शरहद हो खाली
कौन करेगा अब रखवाली
लहू से लथपथ वीर सिपाही
बारूद संग खेल रहा दीवाली
इच्छा इनकी पूरी करिये तो
मोदी जी सुनिये तो
बेरोजगार यूं भटक रहा हैं
रोजगार कौन घटक रहा हैं
परवाह नही किसी को इनका
कैसे अपना पेट भरेगा
अब क्या भूखे मरेगा।
जख्म इनका भरिये तो
मोदी जी सुनिये तो
दहेज़, बाल विवाह अबतक चल रहा
बलात्कारी खुलेआम पल रहा
कितनी बाला फाँसी झूलें
कैसे दर्द उनका सब भूलें
पीड़ा नारी की सुनिये तो
मोदी जी सुनिये तो
अब तुम पर ही आशा है
बाकी तो निराशा हैं
दर्द सेना,बेरोजगार, नारी का
सुनो और सुधार करो
भारत को विश्व गुरु बनाने का
झट सपना साकार करो।
अब हालात न देखी जाएं
कुछ तो जल्दी करिये तो
मोदी जी सुनिये तो
– समीर सिंह राठौड़, बंशीपुर, बांका, बिहार