सावन मास विशेष, लगे प्रिय औघड़दानी।
बिल्वपत्र नैवेद्य , जटाधर आप बखानी।।
ज्येष्ठ महीना गर्म, हलाहल में शिव जलते।
शीतल भाव प्रदेय, सुखद जल बारिश पलते ।।
पावन उत्तम माह में , करते जल अभिषेक जन।
है पुनीत यह धारणा, हो पवित्र अतिरेक मन।।
आया सावन मास, सभी शिव ध्यान लगालो।
काँवर कंधे डाल , बोल बम शिव को पालो।।
नंगे मेरे पाँव , कँटीली लम्बी राहें ।
कैसे पहुँचें धाम, कष्ट से निकली आहें।।
भक्ति पर विश्वास है , महादेव का आस है।
अर्पण गंगा जल करें, वैद्यनाथ का मास है।।
– प्रियदर्शिनी पुष्पा, धनबाद, बिहार