वक्त के साँचे मे ढल कर देख ले,
जिंदगी अपनी बदल कर देख ले।
सोचते थे संग मिले आपका,
प्यार से यारा पहल कर देख ले।
डर गया तू देख कर कठिनाइयाँ,
मुश्किलो को तू कुचल कर देख ले।
खो गया रास्ता नसींबो से कही,
अब नजारे भी टहल कर देख ले।
आज गैरो ने कहर डाला अजी,
छोड़ बाते *ऋतु बहल कर देख ले।
– ऋतु गुलाटी..ऋतंभरा, चंडीगढ़