जयति-जयति माँ हंस वाहिनी,
जय -जय माँ वीणा वादिनी,
जयति -जयति माँ शारदा,
जय -जय माँ ब्रम्हाणी।
विद्या का वरदान हमें दो,
जीवन पावन धन्य बने माँ,
शान्त चित्त और शुभ चरित्र हो,
तन मन निर्मल कर दो माँ।
हर आंगन में दीप जला दो
दिव्य ज्ञान की ज्योति जगा दो
अपना शुभाशीष दे दो माँ
हमको विद्या का वरदान दो।
माँ तुम मंगलकारणी प्रेम प्रदायिनी
शुभ वरदायिनी कष्टहारणी
माँ शीश झुका तेरे चरणो में
विद्या का वर दो माँ सरस्वती।
– कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड