बच्चा
क्या खेले, क्या खाए
क्या सोचे, क्या पढ़े
क्या सुनाए, क्या कहे,
क्या सही क्या बताये,
कैसी है दुनिया
जैसी है वैसी ही तस्वीर बनाये
क्या ये ही
भविष्य में कैसा रंग दिखाये
संभालो इन्हें
ये भविष्य का भारत बनाये।
ना दो इनको पब्ज़ी
ना इनको गलत तस्वीर दिखाना
आज इनकी है जरूरत देश में
इनको है सैनिक बनाना।
बचपन में इनको
वीरों की कहानियाँ सुनाना
मन मे इनके
देश प्रेम को है जगाना
आँखों में इनके
नम्रता की है नज़र देना
कानों मे इनको
प्रकृति का संगीत सुनाना
खेल में इनको
वीरों की तलवारें ही देना
वो देश फिर
श्रद्धा सुमन की खेती करेगा
इन वीरों के लिए
देश फिर गर्व से खिल उठेगा
ना जात न पात का
फिर डंका बजेगा
एक ही वीर जवान
फिर हर एक ही
बस एक भारतीय रहेगा
अनेक भाषा में
एक शांति का रंग दिखेगा।
– जया भराडे बडोदकर
नवी मुंबई। महाराष्ट्र