सीमा पर पकड़ बनाने को ,
भारत पर अकड़ दिखाने को ।
लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,
आया क्यों धौंस जमाने को ।।
खुल गया माथ संसय लेखा ,
टूटी अतिक्रमण की रेखा ।
अपनी सीमा की रक्षा में ,
सेना तत्पर हर कक्षा में ।
लद्दाखी मानस दिखे विकल,
सैना भारत की गयी संभल ।
ड्रैगन तन कर के खड़ा हुआ ,
दादा बन कर के अड़ा हुआ ।
भारत की सेना पहुँच गयी ,
ड्रैगन को सबक सिखाने को ।
लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,
आया क्यों धौंस जमाने को ।।1
लेकिन वो जिद कर बैठा था ,
उल्टा भारत पर ऐंठा था ।
सेनायें सम्मुख आयीं थी,
आपस में हाथा पायी थी।
लड़ने को वो तैयार खड़ी,
रण चंडी पैर पसार खड़ी ।
टुकड़ी लेकर कर्नल धाये ,
ड्रैगन को समझाते पाये ।
बोले शांति का दूत मान ,
आया विध्वंश बचाने को ।
लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,
आया क्यों धौंस जमाने को ।।2
अपना पूरा रुख जता दिया ,
सीधे शब्दों में बता दिया ।
भारत ना बासठ वाला है ,
अब तेरे लिये उठाला है ।
भारत की टीस बढ़ायेगा ,
टुकड़े टुकड़े हो जायेगा ।
यदि मर्यादा तू तोड़ेगा ,
अपनी ही किस्मत फोड़ेगा ।
मैं बुद्ध भूमि से आया हूँ ,
तेरा मन शुद्ध कराने को ।
लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,
आया क्यों धौंस जमाने को ।।3
फिर घाटी में कोहराम हुआ ,
हथियार रहित संग्राम हुआ ।
उनकी पहले तैयारी थी ,
छोटी सी फौज हमारी ।
संग्राम हुआ पूरी रजनी ,
हथियार लिए थे वो वजनी ।
दे गए बीस सैनिक जीवन ,
चालीस चीन के हुए दफन ।
पूरी दुनियां को बता गए ,
तैयार मार मिट जाने को ।
लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,
आया क्यों धौंस जमाने को ।।4
भारत ना रुकने वाला है ,
सम्मुख ना झुकने वाला है ।
गिलवान नहीं घुस पायेगा ,
अक्साई भी दे जायेगा ।
पर धोखेबाज नहीं माना ,
समझौते का तोड़ा ताना ।
धोखे से हमला बोल दिया ,
संधि का बंधन खोल दिया ।
सरियों डंडों को हाथ लिए ,
कायर आये धमकाने को ।
लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,
आया क्यों धौंस जमाने को ।।5
अब आगे की तैयारी है ,
सेना तैयार हमारी है ।
छोड़ेंगे हम गिलवान नही ,
बेसक हो जाय लाल नदी ।
यदि बात समझ में ना आयी,
तो रोयेंगी चीनी मायी ।
बोटी बोटी कट जायेंगे ,
हम इंच नहीं हट पायेंगे ।
बच्चा बच्चा तैयार खड़ा ,
भारत माँ पर मिट जाने को ।
लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,
आया क्यों धौंस जमाने को ।।6
जल सेना ताकत जानी नहीं ,
थल सेना आफत जानी नहीं !
जाटों का हमला देखा नहीं ,
सिक्खों का अमला देखा नहीं !
गढवाली देखे ना लड़ते ,
रण चंडी खप्पर ले चढ़ते !
तू मर्द मराठे देख जरा ,
यदुवंशी पटठे देख जरा !
गुरखों का टोला आता है ,
चंडी पर भेंट चढ़ाने को !
लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,
आया क्यों धौंस जमाने को ।।7
तूने भारत को जाना ना ,
तू सही सही पहचाना ना !
राणा के वंशज देख खड़े ,
अकबर के अंशज देख खड़े !
घट घट में राम की वर्षा है ,
हर परशुराम कर फरसा है !
वो धरा लाल हो जाएगी ,
कल का सवाल हो जाएगी !
पूरी दुनियाँ फिर कोसेगी ,
चीनी की जात मिटाने को !
लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,
आया क्यों धौंस जमाने को ।।8
ये इतना भीषण रण होगा ,
दोनों के लिये क्षरण होगा !
धरती अंबर सब डोलेंगे ,
शिव नेत्र तीसरा खोलेंगे !
जब मान सरोवर में शंकर ,
फूटेंगे हो कंकर कंकर !
धरती पानी पानी होगी ,
तेरी ज्यादा हानि होगी !
भारत की ताकत का तुझको ,
आया अंदाज कराने को !
लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,
आया क्यों धौंस जमाने को ।।9
हुंकार तू सुन ले रघुपति की ,
फुँकार तू सुन ले नगपति की !
जापान लड़ेगा भारत संग ,
दक्षिण कोरिया भी करे जंग !
तेरी गति वापस मोडन को ,
तैयार ट्रम्प मुँह तोड़न को !
न चिन्न तेरा बच पायेगा,
तू छिन्न भिन्न हो जाएगा !
वंशज हूँ विश्व गुरु का मैं ,
आया हूँ पाठ पढाने को !
लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,
आया क्यों धौंस जमाने को ।।10
झगड़ा ना देखे ओर छोर ,
ना बात द्वेष की बढ़ा और !
कुछ हासिल ना कर पाएगा ,
व्यापार ठप्प हो जाएगा !
दोनों की जनसंख्या भारी ,
दोनों की बड़ी ज़िम्मेदारी !
यह धरा हरी सिंह नलवा की ,
कविता “हलधर”जट कलवा की।
सब देश ताक में बैठे हैं ,
हम दोनों के भिड़ जाने को !
लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,
आया क्यों धौंस जमाने को ।।11
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून