neerajtimes.com – आंकड़े बता रहे हैं कि जापान को पीछे छोड़कर भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। निःसंदेह यह ऐतिहासिक उपलब्धि है, जिस पर देश के प्रत्येक नागरिक को गर्व महसूस हो रहा होगा। साथ ही चौथी अर्थव्यवस्था वाला देश बनना वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती महता को भी दर्शाता है, जो 2047 तक भारत को विकसित देश बनने की दिशा में मार्ग प्रशस्त करेगा। निःसंदेह ऐतिहासिक उपलब्धि के पीछे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार प्रशंसा की पात्र है, क्योंकि प्रधानमंत्री की दूरदर्शी नीतियों के कारण देश इस बड़े मुकाम तक पहुंचा है।एक ओर हमारे देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के यह आंकड़े पूरे विश्व का ध्यान आकृष्ट कर रहे हैं वहीं बेरोजगारी, गरीबी, 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन और लगातार भूख व कर्ज के कारण बढ़ती आत्महत्या की घटनाएं अर्थव्यवस्था के इस आभा मंडल को मुंह चिढ़ा रहीं हैं। देश भर में औसतन 2 लाख सालाना आत्महत्या सामने आती हैं जबकि इन मरने वालों में औसतन सालाना 16 हजार किसान सुसाइड करते हैं। अंतरराष्ट्रीय खुशहाली सूचकांक में भारत की स्थिति काफी बदतर बनी है।
हालांकि 2014 में मोदी सरकार सत्ता में आयी थी, तो भारत की अर्थव्यवस्था, ऐसी उभरती अर्थव्यवस्था थी जो ग्रोथ की अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए विदेशी निवेश पर बहुत ज्यादा निर्भर थीं। इनमें तुर्की, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया शामिल थे। अब इंडिया दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गई है। करेंट प्राइस पर इंडिया की जीडीपी 2014 में 1,12,36,635 करोड़ थी, जो अब 4.187 ट्रिलियन डॉलर पहुंच गयी है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने भी इसकी घोषणा करते हुए कहा कि भारत का विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व का प्रत्यक्ष प्रमाण है। उनकी आर्थिक सुधारों, डिजिटल परिवर्तन और समावेशी विकास के प्रति अडिग प्रतिबद्धता ने भारत को वैश्विक मंच पर प्रमुख स्थान दिलाया है। भारत ने यह मुकाम ऐसे समय में हासिल किया है, जबकि अमेरिकी टैरिफ के चलते दुनिया में हलचल है, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ भी भारत की ग्रोथ को नहीं रोक सका है और न ही पाकिस्तान के साथ तनाव का भारत के आर्थिक विकास पर कोई असर पड़ा है। भारत लंबे समय से दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बना हुआ था और अब उसने जापान को पीछे छोड़ दिया है। यह उपलब्धि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू किए गए सुधार, संघर्ष और पुनरुत्थान की कहानी है। उनका जन-हितैषी दृष्टिकोण, राजकोषीय अनुशासन और व्यवसाय समर्थक नीतियां भारत को विश्व की आर्थिक शक्ति बना रही है। यह छोटे व्यापारियों के लिए बड़े कारोबारी बनने का एक सुनहरा अवसर है, जिससे उन्हें वित्तीय अनुशासन, सशक्तिकरण और डिजिटल तकनीक को तेजी से अपनाने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री मोदी के गतिशील नेतृत्व में भारत ने न केवल वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं का सफलतापूर्वक सामना किया है, बल्कि दीर्घकालिक और सतत विकास की एक मजबूत नींव भी रखी है। मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, गति शक्ति और पीएलआई योजनाओं जैसे रणनीतिक अभियानों ने प्रमुख क्षेत्रों को पुनर्जीवित किया है, बुनियादी ढांचे को सशक्त किया है और रिकॉर्ड स्तर पर विदेशी निवेश को आकर्षित किया है। भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए यह उपलब्धि हासिल की है। अब भारत की अर्थव्यवस्था चार बिलियन डॉलर की हो चुकी है। अर्थव्यवस्था के आकार के मामले में इस समय भारत से आगे केवल अमेरिका, चीन और जर्मनी रह गए हैं। भारत की इस तेज रफ्तार वृद्धि के पीछे निर्माण क्षेत्र की ताकत को सबसे प्रमुख माना जा रहा है।
केंद्र सरकार ने पिछले 11 वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए निर्माण क्षेत्र में लगातार भारी व्यय किया है। सड़क मार्ग, रेल परिवहन, पोर्ट निर्माण और आवासीय भवनों के निर्माण को केंद्र सरकार ने अपनी नीतियों के केंद्र में रखा है। इसका लाभ कोर सेक्टर के स्टील, सीमेंट, बिजली, तेल सहित औद्योगिक सेक्टर के 50 बड़े क्षेत्रों को मिला है। इससे साथ जुड़े अन्य सेक्टरों में भी तेज वृद्धि देखी गई है। केंद्र सरकार ने देश में लगातार निवेश का माहौल बेहतर बनाए रखा है। इसका असर हुआ है कि विदेशी निवेशकों ने यहां निवेश को अपनी प्राथमिकता बना रखा है। इससे देश के अनेक क्षेत्रों में पर्याप्त निवेश प्राप्त हुआ है और इससे इन सेक्टरों को बढ़ाने में वित्तीय मदद मिली है। अभी जिस तरह का वैश्विक माहौल बना हैं, उसमें आगे भी भारत में निवेश की संभावनाएं बेहतर बनी रह सकती हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने हथियारों के निर्माण को अपनी प्राथमिकता में रखा है। इसका यह असर हुआ है कि भारत आज दुनिया में हथियार आयातकों के साथ-साथ हथियारों का बड़ा निर्यातक भी बन चुका है। आज भारत के ब्रह्मोस, आकाश और अन्य आयुध निर्माण की खरीद करने वाले दर्जनों देश की सेवाएं ले रहे हैं। इससे भी भारत की धमक पूरी दुनिया में बढ़ी है, लेकिन केंद्र सरकार के इस कदम ने भारत को न केवल हथियारों का निर्यातक बनाया है, बल्कि इसके जरिए भारत को बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा भी प्राप्त हुई है।है। जिस तरह भारत ने मोबाइल निर्माण के सेक्टर में अपनी ताकत दिखाई है, अब वह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल उत्पादक और निर्यातक देश होने का सम्मान हासिल कर चुका है। स्मार्ट चिप के निर्माण और सोलर पैनल के निर्माण के क्षेत्र में भी भारत लगातार अपनी बढ़त बना रहा है। आने वाले समय में भारत चिप निर्माण के क्षेत्र में भी दुनिया की चुनिंदा शक्तियों में शामिल हो जाएगा। वर्ल्ड बैंक से लेकर आईएमएफ तक और तमाम ग्लोबल एजेंसियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था का लोहा माना है और आगे भी भारत की जीडीपी ग्रोथ रफ्तार सबसे आगे रहने की बात अपनी हालिया जारी रिपोर्ट्स में कही है। ऐसे में बीते दिनों केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट में अनुमान जाहिर करते हुए कहा गया है कि चौथी तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.8 फीसदी रहने का अनुमान है, जिससे वित्त वर्ष 2025 की कुल ग्रोथ रेट 6.3 फीसदी रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि, होटल और परिवहन के साथ ही मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मजबूत परफॉरमेंस से ग्रोथ को गति मिल रही है।
भारत का अगला लक्ष्य जर्मनी को पीछे छोड़ कर तीसरी अर्थव्यवस्था बनना है आइएमएफ के अनुमानों के अनुसार आने वाले वर्षों में भारत जर्मनी को पछाड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बन सकता है। 2027 तक भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर सकती है और इस दौरान जीडीपी का आकार 5,069.47 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। वहीं, 2028 तक भारत की जीडीपी का आकार 5,584.476 अरब डॉलर होगा, जबकि इस दौरान जर्मनी की जीडीपी का आकार 5,251.928 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। हालांकि कुछ चुनौतियां भी समय के साथ आने वाली हैं। भारत अब निर्माण के मामले में लगातार आगे बढ़ रहा है। लेकिन अब भारत को औद्योगिक विकास के चौथे चरण के लिए तैयार होना चाहिए, जहां ऑटोमेशन की सबसे बड़ी भूमिका होगी। अमेरिका, चीन, ताइवान और अन्य यूरोपीय देशों के मामले में अपने उत्पादों की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उसे सर्कुलर ईकोनॉमी का अगुवा भी बनना पड़ेगा। इस समय भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती ऑटोमेशन के कारण बेरोजगार हुए लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की होगी। इसके लिए सरकार को एक तरफ कामगर आबादी को तकनीकी दक्ष बनाना होगा, वहीं श्रम आधारित रोजगार भी बनाए रखने होंगे। यह उपलब्धि कृषि और निर्माण क्षेत्र में भारी निवेश करके ही हासिल की जा सकती है। उम्मीद यही है कि सभी चुनौतियों का सामना करते हुए भारत जल्द ही दुनिया तीसरी अर्थव्यवस्था वाला देश भी बन जाएगा।
हमें ध्यान देना होगा कि अर्थव्यवस्था के साथ साथ इसका असर आम जनजीवन पर भी दिखना चाहिए आम आदमी खुशहाली को महसूस करे तरक्की सिर्फ कुछ पूंजीपति या अधिकार संपन्न लोगों के गलियारों में सिमट कर नहीं रहनी चाहिए तभी इसे सही मायने में दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के लक्ष्य को पूरा करने में कामयाब माना जाएगा। (विनायक फीचर्स)
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