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बचपन (बाल कविता) – सुधाकर आशावादी

 

खूब लुभाता सबको बचपन,

निश्छल मन व निश्छल तन,

सिर्फ़ प्यार की भाषा समझे,

प्यारा भोला भाला बचपन ॥

 

बचपन की अपनी ही भाषा,

ना समझे वह दुनिया दारी,

रिश्तों की पहचान न जाने,

उसकी अपनी दुनिया न्यारी ।

 

चंचल नटखट उसकी आँखे,

आँखों आँखों होती बातें,

गोद में आने को ललचाए,

बचपन सबको बहुत लुभाए ।

 

निर्मल बचपन प्यारा बचपन,

याद सभी को पल पल आए,

गया लौट फिर कभी न आता,

बचपन की बस याद सताए ।

– सुधाकर आशावादी (विनायक फीचर्स)

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