मनोरंजन

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

सुनो करे हैं गुमां मात बेटियो वाली,

हुई है पैदा बड़ी बेटी हौसलो वाली।

 

करीब के थे करते बातें शिकायतों वाली,

समझ सके वो हरकतें गवाहियों वाली।

 

सुना है जादू सा दिखता तेरी शायरी मे,

ग़ज़ल दिलो मे रहेगी मुहब्बतों वाली।

 

खिला खिला था चमन लेकिन सजा भी नही,

नजर मिली उन्हे देखा उदासियों वाली।

 

किया था प्यार भी तुमसे करीब आने को,

कहाँ नसीब मे था वो शिकायतों वाली।

 

भले लिये हैं तुम्हारे वो जख्म चुप रह कर,

सहे इसीलिए अब नाम भी लगे गुलों वाली।

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़

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