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आया काल कपाल – डॉo सत्यवान सौरभ

जब तक साँसें साथ हैं, तब तक तेरा राज।

साँस रुकी जो एक पल, छूट गए सब ताज।।

 

सोने के महलों में रहा, भोगे सुख के थाल।

छूटी काया साथ से, आया काल कपाल।।

 

जिनको धन अभिमान है, वे हैं मूढ़ अजान।

काल बटोही लूटकर, कर देगा सुनसान।।

 

पंछी चहके डाल पर, उड़े गगन के पार।

तन तज जाता जब यहाँ, छूटे कुल परिवार।।

 

महँगे कपड़ों से नहीं, ऊँचा होता मान।

जिसके कर्म उजास दें, वही बड़ा इंसान।।

 

जब तक जीवन रोशनी, तब तक सुख का मेल।

बुझते ही दीपक गया, व्यर्थ हुआ फिर तेल।।

 

माया झूठी, झूठ धन, झूठा जग अभिमान।

संग चले बस कर्म है, देते सच्चा मान।।

 

पंछी जैसे छोड़ दें, सूना करके नीड़।

तन को छोड़ मनुष्य भी, दे जाता है पीड़।।

 

संचय धन का जो करे, फिर भी रहे अधीर।

खाली आया जगत में, खाली चला शरीर।।

 

संपति, वैभव, रूप सब, होते क्षण में अंत।

माटी तन माटी मिले, सत्य सौरभ अनंत।।

– डॉo सत्यवान सौरभ, 333, परी वाटिका, कौशल्या भवन,

बड़वा (सिवानी) भिवानी, हरियाणा – 127045, मोबाइल :9466526148

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