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शिवोहम् – सुनील गुप्ता

 

(1)” शि “, शिवोहम् शिवोहम् हूँ मैं शिवोहम्

मुझमें बसता शिव स्वरूपम्  !

अभिभूत हूँ मैं चेतनता से…..,

शिवमय बना है सारा जीवन  !!

 

(2)” वो “, वो सदाशिव, है मृत्युंजय

बसता हमारी रग-रग में है !

है विश्वेश्वर, वही गिरिश्वर….,

जीवन की हर श्वासों में वो है !!

 

(3)” ह “, हर हर महादेव,भगनेत्रभिद् हैं

हैं वही दक्षाध्वरहर हर  !

पाशविमोचन परमेश्वर हैं….,

बसते जड़ चेतन, हर नर-नर !!

 

(4)” म “, महाकाल ललाटाक्ष गंगाधर हैं

हैं शिव भोले कृपानिधि  !

विष्णुप्रिय भक्तवत्सल शिव हैं….,

त्रिलोक स्वामी कैलाशवासी !!

 

(5)” शिवोहम् “, शिवोहम् चिदानंद रूपम्

मनो बुद्धि अहंकार चित्तानि नाहम्  !

न मे द्वेषरागौ न मे लोभ मोहौ….,

मदों नैव मे नैव मात्सर्यभावम् !!

– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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