वर्ष नूतन आ गया लो प्यार के दीपक जलाएं ।
घिर रहा जो हर दिशा में उस अँधेरे को भगाएं ।।
बादलों में रवि छुपा है साँझ होने से भी पहले ।
युद्ध के बारूद से यूरोप के सब देश दहले ।
दीप संयम के जलाकर बांध दें तम की बलाएं।।
वर्ष नूतन आ गया लो प्यार के दीपक जलाएं ।।1
गरल भरती दृष्टियों का तोड़ दें झूठे दिलाशे ।
विश्व को सदभाव के वितरित करें मीठे बतासे ।
वेद मंत्रों के सहारे द्वन्द्व को जड़ से मिटाएं ।।
वर्ष नूतन आ गया लो प्यार के दीपक जलाएं ।।2
तोड़ दें हम धुंध कुहरे से बनी दीवार सारी ।
विश्व भर में शांति हो बस ये रहे कोशिश हमारी ।
सींच दीपों के उजाले जोड़ देवें श्रृंखलाएं ।।
वर्ष नूतन आ गया लो प्यार के दीपक जलाएं।।3
युद्ध का पैगाम है या ये नए युग का सगुन है ।
भारती के भाल पर तो विश्व गुरु बनने की धुन है ।
हिन्द “हलधर” का करेगा तय सभी दुर्गम दिशाएं ।।
वर्ष नूतन आ गया लो प्यार के दीपक जलाएं ।।4
– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून