( 1 )” न “, नई दुनिया
है नया जमाना !
आँखें बुझी-दुःखी…..
सुनें न कोई, मानें न कहना !!
( 2 )” या “, यार दोस्त
हैं बहुत सारे !
स्वार्थी मतलबी सभी….,
आएं न बेमतलब, घर हमारे !!
( 3 )” ज “, जरुरत पर
हाल-चाल पूछते !
करते न याद हमें….,
अक़्सर रुठे, अड़े-अड़े रहते !!
( 4 )” मा “, मामा भाँझा
रिश्ते हुए खत्म !
काहे के चाचा भतीजा….,
रूपया पैसा, भरता है दंभ !!
( 5 )” ना “, ना-नुकर
काहे सिर खपाना !
नेकी कर, दरिया में डाल….,
अब बीत गया, वो पुराना जमाना !!
– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान