फाग गाओ, फाग गाओ,
आई होली , आई रे ।
ढोल बजाओ, ढोल बजाओ,
आई होली, आई रे ।
आज फिर आया जगत में
रंग – गुलाल का मेला रे ,
होलिका चली गई जगत से
हर दिशा रंगों का खेला रे ।
न जाने कितनी आस लिए ,
देखी मुस्कानों की बेला रे ।
फाग गाओ, फाग गाओ ,
आई होली, आई रे ।
ढोल बजाओ, ढोल बजाओ ,
आई होली, आई रे ।
झूम- झूम के, झूम – झूम के,
भारत – भूमि यों डोली रे !
छम- छम नाचे राधा- कन्हाई,
धरती भी थिर- थिर थिरकीं रे ।
महक उठी वसंत- फुलवारी ,
आंख- आंख आज बहकी रे।
फाग गाओ, फाग गाओ,
आई होली, आई रे।
ढोल बजाओ- ढोल बजाओ,
आई होली आई रे।
पुए मिठाई, दूध मलाई ,
आई रुचि की बहार रे।
गली- गली आई बहार तो,
गली- गली में फुहार रे।
वसंत में मानो आ गई
पावस की मल्हार रे।
फाग गाओ- फाग गाओ,
आई होली, आई रे
ढोल बजाओ,ढोल बजाओ
आई होली, आई रे।(विनायक फीचर्स)