neerajtimes.com नई दिल्ली – महिला दिवस के उपलक्ष्य में हिंदी अकादमी, दिल्ली सरकार के सौजन्य से एंजलिक माडर्न स्कूल, जवाहर पार्क ( खानपुर), नई दिल्ली में काव्य गोष्ठी हुई सम्पन्न।
आयोजक- ब्रिजेंद्र दीप्ती गीता सोसायटी के चेयरमैंन प्रदीप कुमार दुबे और इस कार्यक्रम के संयोजक मदन लाल राज रहे। मुख्य अतिथि चंदन चौधरी विधायक संगम विहार और विशिष्ट अतिथि श्रीमती ममता यादव निगम पार्षद रहे। जिन्होंने द्वीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
कार्यक्रम का आगाज कवि उपेंद्र पाण्डेय की ओजपूर्ण कविता के साथ हुआ- निगाहें झुकती सजदें में वहाँ सम्मान क्या होगा ?/ वतन पर जान लुटाने से बड़ा बलिदान क्या होगा। /सरहदों पर न्योछावर कर के खुद को बस कहा – इतना,/ तिरंगा खुद लिपटकर नेह दे आराम क्या होगा।
कवयित्री गार्गी कौशिक ने अपनी मधुर आवाज में गंगा पर एक सुंदर गीत प्रस्तुत किया। उनकी मधुर आवाज पर श्रोतागण मंत्र मुग्ध हो गये।
प्रसिद्ध व्यंगकार कवि मदन लाल राज ने अपनी हास्य – व्यंग की कुछ क्षणिकाएँ और एक रचना – गिद्ध, नोंचने में सिद्ध। दूर – दूर तक प्रसिद्ध।/ आजकल वह भी सोचने लगा है।/ उससे अच्छा तो आदमी नोंचने लगा है। ने श्रोताओं को गुदगुदाया और सोचने को मजबूर कर दिया।
स्थानीय कवि दास प्रेम ने – नारी सृष्टि का आधार है।/ ये तो पाँच भूतों का सार है। याको किसी ने ना पायो पार। कितने ऋषि मुनि गये हार। साथ में अपनी मधुर आवाज में होली पर एक शानदार गीत प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम की संचालिका पूजा श्रीवास्तव ने अपनी मधुर और कर्णप्रिय आवाज जो सभी के अंत्रमन को छू गई। उन्होंने अपने काव्य पाठ – रचो इतिहास नव, होगा क्या महुरत अब/ सोच – सोचकर आप वक्त न गंवाईये। त्याग लोक, लाज डर मिलेगा सम्मान हर, प्रगति में देश के जो, आप जुट जाईये। प्रस्तुत की।
कवि सम्मेलन में सीमा रंगा इंद्रा ने – बार- बार है नमन तुझे मेरे भगवन, प्यारी माँ के आँचल का दिया उपहार है। /कोर – कोर खिलाती है भर देती पेट माँ तो, खुद भूखी रह जाे तो नार है। श्रोताओं का मन मोह लिया। कवयित्री ने व्यक्तिगत जीवन से संबंधित हास्य रचनाओं की प्रस्तुति से लोग चहक उठे।
कवि अटल मुरादाबादी ने – सबके घर की दुलारी हैं ये बेटियाँ। माँ बाबा को प्यारी हैं ये बेटियाँ। / बेटियों से ही रोशन घर ओर चमन, रब की इक चित्रकारी हैं ये बेटियाँ। साथ में हास्य और ओजपूर्ण की भी रचनाएँ प्रस्तुत की। बहुत दिनों बाद इस क्षेत्र में हुए इस कवि सम्मेलन की स्थानीय श्रोताओं ने भूरी भूरी प्रशंसा की। रिपोर्ट – मदन लाल राज, नई दिल्ली