छू लेता तुम्हें
हूँ, शब्दों से अपने
मन हैं मिले !!1!!
बिना तुमसे
मिले, ये प्रीत बढ़े
हृदय खिलें !!2!!
देखूँ सपने
यहाँ पे बिना सोए,
भाग्य हर्षाएं !!3!!
कहाँ हो खोए
भूलभुलैया सी में,
जागो, चलो रे !!4!!
जिंदगी जीएं
सदा स्व में रहते,
माया से बचें !!5!!
– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान