सर्वाधिक संसार में, पाता मान चरित्र।
प्रेम और विश्वास की , है पहचान चरित्र।।
जीवन में जो भी रहें, व्यवहारिक संबंध।
उनकी रखता सर्वदा, कायम आन चरित्र।।
खानदान परिवार में , मेल-जोल सहयोग।
लाता है सम्मान पर , दे मुस्कान चरित्र।।
चमके धन,यश से अधिक,चाल चलन का दाग।
इसीलिए करते सदा , ज्ञानी गान चरित्र।।
सब कुछ खो कर फिर गहे, कर के यत्न मनुष्य।
पर वापस पाता नहीं , खोई शान चरित्र।।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश