प्यार से रहना हमेशा नाम होगा,
इस जहाँ में प्यार हीं पैगाम होगा।
जिंदगी का क्या भरोसा यार मेरे,
कर भलाई काम हीं ईनाम होगा।
चार दिन की चांदनी में जगमगा ले,
कर भला तेरा भला अंजाम होगा।
चूकना हरगिज नहीं बढ़ते चले जा,
साथ तेरे राह में आवाम होगा।
यह जमाना चूम लेगा पाँव तेरा,
नेकनामी हीं तुम्हारा काम होगा।
प्यार से बढ़के यहाँ पे कुछ नहीं है,
लोग चाहेंगे उसे जो आम होगा।
आदमीं हीं आदमीं का है सहारा,
‘अनि’ रहेगा साथ में आराम होगा।
– अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड