मनोरंजन

नोक झोंक – सविता सिंह मीरा

नोक झोंक

जो देखोगे ऐसे,

बढ़ती  धड़कन है,

गुजरेंगे फिर कैसे?

नज़रें तो मिलने दे

मेंरी आँखों में

सपने तो पलने दे।

सपनो का क्या बोलो

जागी रहती हूँ,

मुहँ अपना तो खोलो।

खत में सब लिख डाला,

तू जो हाँ बोले,

बन जाऊँ रखवाला।

नैना ये झुक जाये,

तेरी बातों से

हाय लाज मुझे आये।

यानि तुने है मानी ,

फिर कैसी देरी

आ जा दिलबर जानी।

द्वारे पर बाराती,

आया घोड़े पर

आ भी जा बलखाती।

हमदम हैं बाँहों में

फिर चाहे जो हो

खुशियाँ अब राहों में।

सविता सिंह मीरा, जमशेदपुर

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