जो कहा वो किया रास्ता हो गया,
आदमी जी रहा वास्ता हो गया।
कौन सोंचें किसी के लिए हरदफा,
आदमी आदमी का खुदा हो गया।
प्यार नफरत जहाँ में हमेशा रहा,
जो किया काम होठों बयां हो गया।
नाम लेते सभी प्यार दिल से करें,
आसरा वो बना रहनुमा हो गया।
भूल सकते नहीं ता-उमर जिंदगी,
आज रहबर बना वो नया हो गया।
लोग मानें उसे दे रहें सब दुआ,
काम ऐसा किया हर जुबाँ हो गया।
जो गरीबी मिटा के सहारा बना,
‘अनि’ लगाता गले दिलरुबा हो गया।
– अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड