प्यार का तेरे आज चर्चा है,
पास मे दिल के तू ही रहता है।
इश्क तेरा हमे रूलाता है,
अपना वादा नही निभाता है।
सिलसिला इश्क का चला बैठे,
जिन्दगी का कोई भरोसा है।
प्यार की बात तू न समझेगा,
हर कदम रंग ये बदलता है।
आके तुम अब इसी में रहने लगो
ख्वाब में मैने घर बनाया है।
खिल गये अब गुलाब बागो मे,
अंजुमन फिर से आज महका है।
हो नही जब उसूल बंदे के,
कौडिय़ों के वो भाव बिकता है।
कद्र करना सदा मुहब्बत की,
हो जुदाई तो दर्द होता है।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़