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उनको भेंट हो, वैलेंटाइन आज – डॉ सत्यवान ‘सौरभ’

वैलेंटाइन का चढ़ा, ये कैसा उन्माद।

फौजी मरता देश पर, कौन करे अब याद।।

 

सौरभ उनको भेंट हो, वैलेंटाइन आज।

सरहद पर जो हैं मिटे, जिन पर हमको नाज़ ।।

 

काम करो इंग्लैंड में, रहें भला जापान।

रखना सदा सहेज कर, दिल में हिंदुस्तान।।

 

आज़ादी अब पूछती, सबसे यही सवाल।

याद किसे है देश में, भारत माँ के लाल।।

 

देकर अपनी जान जो, दिला गए हैं ताज़।

उन वीरों के खून को, याद करे सब आज।।

 

लाज तिरंगें की रहे, रख इतना अरमान।

मरते दम तक हम रखें, दिल में हिन्दुस्तान।।

 

सरहद पर जांबाज़ जब, जागे सारी रात।

सो पाते हम चैन से, रह अपनों के साथ।।

 

आओ मेरे साथियों, कर लें उनका ध्यान।

शान देश की जो बनें, देकर अपनी जान।।

 

भारत के हर पूत को, करिये प्रथम प्रणाम।

सरहद पर जो है मिटा, हाथ तिरंगा थाम।।

 

सींच चमन ये साथियों, खिला गए जो फूल।

उन वीरों के खून को, मत जाना तुम भूल।।

-डॉ सत्यवान ‘सौरभ’, उब्बा भवन, आर्यनगर, हिसार (हरियाणा)

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