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ऋतुराज – कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

दिवस आज है पंचमी, यौवन पर ऋतुराज।

बसें शारदा लेखनी, सदा सँवारें काज।।

 

पुष्प प्रफुल्लित हो रहे, बिखरे चहुँ दिशि रंग।

कोयलिया की तान पर, तन मन भरे उमंग ।।

 

पुष्प खिले हैं हर कहीं, पवन बहे अति मंद।

भँवरे आतुर हैं सभी, पीने को मकरंद ।।

 

छटा बिखेरें तितलियां, रंग-बिरंगे फूल।

खग छेड़ें स्वर लहरियाँ, पा मौसम अनुकूल ।।

 

ऋतु बसंत का ताज बन, द्वारे पर मधु माह।

रंग-बिरंगे कुसुम सँग, भरता नव उत्साह ।।

 

चहुँ दिशि उड़ती तितलियाँ, भ्रमर करें गुंजार।

फागुन रस में डूबने, हर मानव तैयार।।

– कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, (उ.प्र.)

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