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प्यार देना – अनिरुद्ध कुमार

जहां जीत सोंचें वहीं हार पाया।

कहाँ पास कोई हुआ दूर साया।

अभी दूर जाना घना है अँधेरा।

चले जा रहें राह में हो सवेरा।।

 

यहाँ कौन मेरा गिनें चाँद तारें।

हमेशा पुकारें जमाना निहारें।

सभी हैं सयाने नये या पुराने ।

बता कौन आये गलेसे लगाने।।

 

हमें कौन जाने पड़ें हैं अकेले।

जरा पास आके हँसाये रुलाये।

यही चाहतें जिंदगी गीत गाये।

कभी पास आके जरा मुस्कुरायें।।

 

यही आरजू बंदगी है हमारी।

कभी ना सताये रुलाये बिमारी।

खुशी से भरा देव संसार देना।

रहें शान से मानसे प्यार देना।।

– अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड

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