मनोरंजन

जागो! मेरे देश के युवा – प्रियंका ‘सौरभ’

जागो! मेरे देश के युवा आओ! हम रचे नवगीत।

रचे ऐसा नवगीत, शत्रु भी बन जाए मीत॥

साधु बन घूमते रावण

करने सीता का वरण।

आए दिन अब हो रहा,

द्रोपदी का चीर-हरण॥

करे पापियों का अब नाश, हो अच्छाई की जीत।

रचे ऐसा नवगीत, शत्रु भी बन जाए मीत॥

छलावी चालें चल रहे

कपटी-काले मन।

नित झूठे लूट रहें

सच्चाई का धन॥

बन पार्थ संग्राम लड़े, होना क्या भयभीत॥

रचे ऐसा नवगीत, शत्रु भी बन जाए मीत॥

संप्रदायों में बंटकर

न औरों के झांसे आये

जात-धर्म के नाम पर

नहीं किसी का खून बहाएँ

प्रेम सभी का सम्बल बने, हो प्रेममय प्रीत।

रचे ऐसा नवगीत, शत्रु भी बन जाए मीत॥

जो बांटे है भारत माँ को

उनको आज ललकारें।

जागो! मेरे देश के युवा

तुझको ये धरा पुकारे॥

एक-दूजे को थामें सारे, हम जोड़े ऐसी रीत।

रचे ऐसा नवगीत, शत्रु भी बन जाए मीत॥

-प्रियंका सौरभ , उब्बा भवन, आर्यनगर, हिसार

(हरियाणा)-127045 (मो.) 7015375570 (वार्ता+वाट्स एप

Related posts

मिच्छामि दुक्कड़म – सुनील गुप्ता

newsadmin

आज तक बाकी तुम्हारा – अनुराधा पाण्डेय

newsadmin

गजल – रीतू गुलाटी

newsadmin

Leave a Comment