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कविता (तोलोलिंग विजय) – जसवीर सिंह हलधर

लो सुन लो आज सुनाऊं ,तोलोलिंग विजय कहानी ।

करगिल की इस चोटी पर,नाची थी युद्ध भवानी ।।

 

शांती वार्ता के पथ पर , चलने की थी तैयारी ।

बस से लाहौर गए थे , नेता थे अटल बिहारी ।

अटल,नवाज दोनों ही , इस पथ पर बड़े हुए थे ।

मक्कार मुशर्रफ़ दिल में ,कुछ सपने पले हुए थे ।

दोनों सेनाओं ने ही ,कुछ मौखिक वादे सींचे ।

सर्दी वाले मौसम में , सैनिक आ जाएं नीचे ।

लेकिन मक्कार  मुशर्रफ़, नीयत में थी शैतानी ।।

लो सुन लो आज सुनाऊं , तिलोलिंग विजय कहानी ।।1

 

सर्दी मौसम आते ही , अरि खेला खेल अनोखा ।

खाली बंकर कब्जाए, देकर भारत को धोखा ।

पाकिस्तानी सेना ने ,आतंकी भेस बनाया ।

तोलोलिंग की चोटी पर ,बारूदी ढेर लगाया ।

ये घटना चरवाहे ने ,सेना को आन बताई ।

सरहद पर आकर बैठे , आतंकी आताताई ।

दुश्मन की ताकत हमने , भी ठीक नहीं पहचानी ।।

लो सुन लो आज सुनाऊं , तोलोलिंग विजय कहानी ।।2

 

ये ख़ास सूचना पाकर , सैनिक गस्ती दल भेजा ।

दल वापस लौट न पाया , सेना का हिला कलेजा ।

भारत की सेना ने तब , ख़ुफ़िया संदेश जुटाए ।

किस कारण अपने सैनिक ,यूनिट में लौट न पाए ।

जब जांच पटल पर आई ,ये तथ्य सामने आए ।

पाकिस्तानी सेना ने , बंकर सारे कब्जाए ।

हम समझे इस घटना को ,आतंकी कारस्तानी ।।

लो सुन लो आज सुनाऊं ,तोलोलिंग विजय कहानी ।।3

 

भेजे सैनिक दल सारे ,संशय की भेंट चढ़े थे ।

दुश्मन सेना के हाथों ,सरहद पर मरे पड़े थे ।

ये ख़बर आग सी फैली , संसद में था हंगामा ।

क्रोधित थे अटल बिहारी ,संयम से सबको थामा ।

आदेश दिया सेना को ,कर लो पूरी तैयारी ।

सारी दुनिया देखेगी , कैसा है अटल बिहारी ।

संगर होगा अब भीषण ,कितनी भी हों कुर्बानी ।।

लो सुन लो आज सुनाऊं , तोलोलिंग विजय कहानी ।।4

 

दुश्मन के कब्जे में थी ,सब ऊंची ऊंची चोटी।

हम दो विमान खो बैठे ,शायद किस्मत थी खोटी ।

चालक भी चार गँवाए,भारत का समय बुरा था ।

मिग ट्वेंटीवन का रण में ,टूटा जब एक धुरा था ।

सेना अपनी घाटी में ,ऊंचे पे शत्रु ठिकाना ।

नीचे से ऊपर चढ़ना, लोहे के चने चबाना ।

ऊपर से आग बरसती , शोणित बहता ज्यों पानी ।।

लो सुन लो आज सुनाऊं ,तोलोलिंग विजय कहानी ।।5

 

नभ थल सेना ने मिलकर ,दोबारा जोर लगाया ।

पाकिस्तानी सेना को ,विकराल रूप दिखलाया ।

तिल तिल कर अपनी सेना , नीचे से ऊपर चढ़ती ।

था ताप शून्य से नीचे , पग पग पर सांस उखड़ती ।

चींटी की भांति सैन्य दल ,ऊपर को चढ़ते जाते ।

ऊपर से आग बरसती , हम भी गोले बरसाते ।

तोपों को लेकर ऊपर ,चढ़ते योद्धा सैनानी ।।

लो सुन लो आज सुनाऊं ,तोलोलिंग विजय कहानी ।।6

 

तोपों को लेकर चढ़ना ,इतना आसान नहीं था ।

भारी वफोर्स की तोपें , हल्का सामान नहीं था ।

तोलोलिंग की चोटी पर ,पहला संग्राम हुआ था ।

इस चोटी पर कब्जे को , छः दिन तक लाम हुआ था ।

गरजी वफोर्स की तोपें , इतने गोले बरसाए ।

पाकिस्तानी सेना के ,सब सैनिक मार गिराए ।

अल्ला अल्ला चिल्ला कर , भागे कुछ पाकिस्तानी ।।

लो सुन लो आज सुनाऊं ,तोलोलिंग विजय कहानी ।।7

 

इस तरह घनकती तोपें , क्षण क्षण गोले बरसातीं ।

अरि के हिलने से पहले ,बारूदी बज्र गिरातीं ।

भारत की वीर वाहिनी ऐसा संग्राम लड़ी थी ।

टाइगर हिल कब्जाने  में ,तोलोलिंग खास कड़ी थी ।

मिट गए सैकड़ों सैनिक ,मेजर भी तीन गँवाए ।

तब जीत सके इस रण को ,परिणाम सामने आए ।

भारत मां की जय बोले ,लड़ते लड़ते बलिदानी ।।

लो सुन लो आज सुनाऊं ,तोलोलिंग विजय कहानी ।।8

– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून

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