जब मेरी नींद अधूरी हो
जब ख़ुद से ख़ुद की दूरी हो
जब कहना बहुत ज़रूरी हो
उस वक़्त कहो – तुम मेरे हो।
सावन का पानी जलता हो
जब शाम का सूरज ढलता हो
जब मौसम रंग बदलता हो
उस वक़्त कहो – तुम मेरे हो।
जब दिल मेरा घबराता हो
जब कुछ भी समझ न आता हो
जब दर्द भी बढ़ता जाता हो
उस वक़्त कहो – तुम मेरे हो।
प्रेम में भीगा तन – मन हो
साँसों का महका मधुवन हो
जब यादों का आलिंगन हो
उस वक़्त कहो – तुम मेरे हो।
मन की धरा अकुलाई हो
जब रुत मिलन की आई हो
जब चहुं – ओर तन्हाई हो
उस वक़्त कहो – तुम मेरे हो।
जब धैर्य का बन्धन टूटे तो
जब समय भी मुझसे रूठे तो
जब सारी दुनिया पूछे तो
उस वक़्त कहो – तुम मेरे हो।
जब अन्तर्मन भी रोता हो
जब अनचाहा कुछ होता हो
जब मेरा धैर्य भी खोता हो
उस वक़्त कहो – तुम मेरे हो।
जब दुख का बादल छाया हो
जब हिज्र का गहरा साया हो
उम्मीद का गुल मुरझाया हो
उस वक़्त कहो – तुम मेरे हो।
बेताब सी दिल की धड़कन हो
जब क़दम-क़दम पे उलझन हो
जब सारी दुनिया दुश्मन हो
उस वक़्त कहो- तुम मेरे हो।
जब समय भी करता साज़िश हो
जब दिल में दबी ख़्वाहिश हो
जब कुछ कहने पे बन्दिश हो
उ वक़्त कहो – तुम मेरे हो।
न रस्ता हो न मंज़िल हो
जब सहमा – सहमा सा दिल हो
जब कुछ भी कहना मुश्किल हो
उस वक़्त कहो – तुम मेरे हो।
– डॉ जसप्रीत कौर फ़लक, लुधियाना, पंजाब