वैसे तुममें अच्छा लगने लायक कुछ नहीं,
लेकिन फिर भी तुम मुझे अच्छे लगते हो,
तुम्हारा रूखापन , तुनकमिजाजी, ढीढ़पन,
अक्सर मुझे मजबूर कर देती है कि मैं तुम्हें,
वहीं छोड़ कर आ जाऊं ,जहाँ तुम मिले थे,
लेकिन फिर भी मैं तुम्हें शामिल कर लेती हूँ
अपने जीवन के हर कच्चे और पक्के रंग में
जानते हो क्यों?
इसलिए कि तुम में एक बात सबसे अलग है,
चाहे बात धोखे की हो या भाग जाने की प्रवृत्ति,
या फिर कुछ देर ही सही, मन से रहने की बात हो,
या फिर लिए- दिए का हिसाब- किताब रखना हो,
कि तुम ये सब ईमानदारी से करते हो,
और ईमानदार लोग मुझे बहुत पसंद है,
– रश्मि मृदुलिका, देहरादून