मनोरंजन

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

आज भाती हमे यार की शोखियाँ,

दूर कर दो हमारी भी खामोशियाँ।

 

कोई वर उनको अब तो मिला ही नही,

बिन ब्याहे वो बैठी रही बेटियाँ।

 

याद आती हमें धूप छाया कभी,

जो गुजारी कभी कुरबते-दूरियाँ।

 

पास आजा कभी तू मेरे यार भी,

फिर न होगा कोई फासला दरमियाँ।

 

सुन यही फर्क दोनो के बीच था,

मैं इधर की जमीं थी तो वो आसँमा।

 

रात दिन ये सताता बड़ा खौफ है,

ये जमाना लगा दे न पाबंदियाँ।

 

दूर रहने लगी हमसे तन्हाईयाँ,

जब से मीठी सुनी आपकी बोलियाँ।

 

क्यो गुमां अपनी काया पे हम सब करे,

पल मे देखी मिटी वो सभी हस्तियां।

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़

Related posts

खेलो होली, फूलों संग मतवाली – सुनील गुप्ता

newsadmin

सावन माह और शिव पूजा तथ्य व महत्व – डॉ आशीष मिश्र

newsadmin

अकड़े जब संवाद – डॉ. सत्यवान सौरभ

newsadmin

Leave a Comment