( 1 )” अ “, अक़्सर
हम लोग
जताते हैं दुःख,
कुछ न कर पाने के लिए ‘ अफ़सोस ‘, करते !
और फिर करते हैं मिलके, खूब सोच विचार.,
कि, कैसे दूर करें ये पीड़ा, हम अपने मन से !!
( 2 )” फ़ “, फ़कत
ध्यान रखें
जताएं न अफ़सोस ,
कभी करें न शिकवे, शिकायत किसी से !
और चलें सदैव यहाँ पे हम, हँसते मुस्कुराते..,
रहें मौज मस्ती करते, अपनी धुन में गाते !!
( 3 )” सो “, सोच
विचार चिंताएं
सभी, चलें यहाँ पे पीछे छोड़ते,
अपने क्रियाकलापों पे सदा ध्यान रखें !
और बेकार की बातों पर न करें, अफ़सोस ..,
हमेशा स्वयं को सत्कर्मों में व्यस्त रखते चलें !!
( 4 )” स “, सरल
विरल बनें
हरेक परिस्थितियों से तालमेल बैठाएं,
अपनी मनोस्थिति को, प्रसन्न बनाए रखें !
और नित सकारात्मक विचारों में रमण करते.,
जीवन में आनंद संतोष धन प्राप्त करते रहें !!
– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान