मामा मेरे बड़े निराले।
थोड़े गोरे, थोड़े काले।।
मुझमें दिखता उन्हें छुहारा,
मुंह उनका है ज्यों गुब्बारा।
कहते मुझको गरम मसाला,
लेकिन खुद हैं गड़बड़झाला।
तरह-तरह के तोते पाले।
मेरे मामा बड़े निराले।।
पहने टोपी, काला चश्मा,
करते पागल, दिखा करिश्मा।
सही बात अगर मैं बोलूं,
पोल पुरानी उनकी खोलूं।
बिन चाबी वो खोलें ताले।
मेरे मामा बड़े निराले।।
करते जादू, गाकर गाना,
योग डांस करते मनमाना।
रहे सदा वो ऐसे छाए,
सब रह जाते हैं मुंह बाए।
बाल रखे लंबे, घुँघराले।
मेरे मामा बड़े निराले।।
करते हैं जी खूब तमाशा,
कहे नारंगी, दे बताशा।
बातूनी मुझको बतलाते,
मगर स्वयं ही गप्प लड़ाते।
कहने को हैं भाले-भाले।
मेरे मामा बड़े निराले।।
– डॉo सत्यवान सौरभ,, 333, परी वाटिका,
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