मनोरंजन

गीत (तांटक छंद) – मधु शुक्ला

देखे हमने दुनिया वाले, देखी  है दुनियादारी।

काटों द्वारा पोषण पाती,रहती फूलों की क्यारी।

 

गोंड़  बनाते हैं रिश्तों  को, संबंधी मन के काले।

कपट स्वार्थ का घोल बनाकर, सृजित करें विष के प्याले।

जिससे मुरझाए अपनापन, बात सभी ने स्वीकारी……..।

 

त्याग,क्षमा,ममता,करुणा का, जब तक हृद रखवाला है।

मानवता पर  कोई  संकट , प्रगट  न होने वाला है।

उपकारी भावों का सच्चा, संवाहक है संसारी ………..।

 

ढोंग रहित जब भूमि न होगी, जगत नष्ट हो जायेगा।

या फिर सृष्टि रचयिता लेकर, चक्र सुदर्शन आयेगा।

अधिक समय तक टिके नहीं हैं, वसुधा पर अत्याचारी………।

—  मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश

Related posts

गजल – ऋतु गुलाटी

newsadmin

गीत – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

काव्य वीणा सम्मान से सम्मानित हुए कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

newsadmin

Leave a Comment