मेरे संग जो तुमने की हैं जफ़ाएं,
तेरे संग हम तो वफा ही करेंगे,
गर तेरी रज़ा है ख़ता ही करोगे,
तो फिर कह दो हमसे हम क्या करेंगे।
मेरे संग जो की थीं..
खड़े थे अभी तक हम उसी राह में,
कि लौट आओगे अब इसी चाह में,
मेरा दिल अब तो तड़पता नहीं है
इसको खबर हो गयी तुम अब रहे छल।
वहम सारे दिल के दूर हो रहें हैं
हम अब हमको को ही प्रिय हो रहे है|
मेरे संग जो तुने की थीं….
लौटाओगे कैसे बीते हुए पल,
कितना छलोगे मिलेगा न कुछ हल,
बुने थे दिलों ने जो प्रीत के धागे
उन बंधनों से अब रिहा कर रहे हैं,
सिफर से शुरू अब करें जिंदगी हम,
आराम इस दिल को जरा दे रहें हैं।
मेरे संग जो तुमने की हैं जफ़ाएं,
तेरे संग हम तो वफा ही करेंगे,
गर तेरी रज़ा है ख़ता ही करोगे,
तो फिर कह दो हमसे हम क्या करेंगे।
– सविता सिंह मीरा , जमशेदपुर