छोटे-छोटे पंछी लेकिन,
बातें बड़ी-बड़ी सिखलाते।
उड़ते ऊँचे आसमान में,
मंजिल की ये राह दिखाते।।
ये छोटे-छोटे जीव मगर,
इनसे ये नभ भी हारा है।
आत्मबल से ओत-प्रोत ये,
मिल उड़ना इनको प्यारा है।
बड़े-बड़े जो ना कर पाए,
पल भर में ये है कर जाते।
छोटे-छोटे पंछी लेकिन,
बातें बड़ी-बड़ी सिखलाते।
लड़ते हैं ये तूफानों से,
उड़ सूरज से भी बात करें।
पंख रुकते हैं कब इनके,
सागर, पर्वत भी पार करें।
कोमल काया के हैं लेकिन,
सदा हौंसले ये आजमाते।
छोटे-छोटे पंछी लेकिन,
बातें बड़ी-बड़ी सिखलाते।।
तिनके-पत्ती जोड़-जोड़ सब,
रहे घरोंदे हैं सभी सजा।
इच्छा जो दाने-पानी की,
कमा श्रम से, ले हैं मजा।
प्यारी-सी एक सीख देकर,
अंतर्मन को है हर्षाते।
छोटे-छोटे पंछी लेकिन,
बातें बड़ी-बड़ी सिखलाते।।
अपने घर, गलियां नगर में,
यदि मधुर स्वर गुंजाना है।
मनुज सहेजे पंछी-पंछी,
गीत यही अब मिल गाना है।
ये नन्हे हैं मित्र हमारे,
हमसे बस ये आस लगाते।
छोटे-छोटे पंछी लेकिन,
बातें बड़ी-बड़ी सिखलाते।।
– डॉo सत्यवान सौरभ , 333, बड़वा (सिवानी) भिवानी, हरियाणा मोबाइल :9466526148