जातिवाद की लपटों से अब ,मिलकर हमको लड़ना होगा ।
जीत मिले या हार मिले अब ,इस दानव से भिड़ना होगा ।।
हिन्दू को कमजोर किया है,कुंठित तुच्छ विचारों ने ही ।
वर्ण व्यवस्था जाति पाति में, बदली है मक्कारों ने ही ।
मानवता को आग लगाई ,किसने दिखलाई चतुराई,
गैर किसी से जंग नही ये ,अपनो से ही अड़ना होगा ।
जातिवाद की लपटों से अब,मिलकर हमको लड़ना होगा ।।1
खरपतवारों को फसलों से ,चुनकर हम ही तो छांटेंगे ।
अपने अनुभव का गंगाजल , पूरे जन गण में बांटेंगे ।
गीता वेद पुराण हमारे ,जाति वाद को सदा नकारे ,
जीवन रूपी रामायण में ,गीत नया अब गड़ना होगा ।
जातिवाद की लपटों से अब ,मिलकर हमको लड़ना होगा ।।2
देश धर्म का कर्जा चुकता ,करना है जाने से पहले ।
दुश्मन कोई गैर नहीं है ,अपने ही सब नहले दहले ।
दूर हो गए रिश्ते नाते ,जातिवाद का ढोल बजाते ,
घर की चौखट पर सोना अब ,खुद्दारी से जड़ना होगा ।
जातिवाद की लपटों से अब ,मिलकर हमको लड़ना होगा ।।3
वक्त पड़े पर साथ नहीं जो ,क्या करना उन संबंधों का ।
एक पक्ष की बात करे जो ,लाभ नहीं उन अनुबंधों का ।
जिन पर अब तक जान लुटाई ,दिखा रहे वो ही ठकुराई ,
कूए के मेंढक को “हलधर”,कूए में ही सड़ना होगा ।
जातिवाद की लपटों से अब ,मिलकर हमको लड़ना होगा ।।4
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून