मनोरंजन

कविता – जसवीर सिंह हलधर

लाश देख आखें भर आयी , सीने में अंगारे हैं ।

चिड़िया पर कालेज परिसर में बाज झपट्टा मारे हैं ।।

 

बेबस औ लाचार कली को,तोड़ा है हत्यारों ने ।

बंगाली धरती पर पनपे ममता के मक्कारों ने ।

किसको दोषी मानें इसमें ,नेता या शहजादों को ।

भ्रष्टाचारी सरकारों को , या दल्ले  जल्लादों को ।

जलती चिता गवाही देती ,लपटों में यलगारे हैं ।।

लाश देख आंखें भर आयी सीने में अंगारे हैं ।।1।।

 

छोटी छोटी घटनाओं पर, आधी रात जगाते जो ।

जालिम नेता कहाँ गए हैं न्यायालय खुलवाते जो ।

कोई अंतर नहीं दिखा हमको सरकारी भाषा में ।

कोयल उत्तर खोज रही है कौओं की परिभाषा में ।

फांसी तुरत लगाओ उनको जो जालिम हत्यारे हैं ।।

लाश देख आंखें भर आयी सीने में अंगारे हैं ।।2।।

 

बंगाली धरती पर घृणित ये अपराध किया किसने ।

ममता दीदी का जीते जी पोषित श्राद्ध किया किसने ।

देख देख कर इस घटना को, गंगा भी रोयी होगी ।

कलकत्ता वाली काली,क्रोधित आपा खोयी होगी ।

चीख मोमिता की सुन सुन कर रोए सिंधु किनारे हैं ।।

लाश देख आंखें भर आयी सीने में अंगारे हैं ।।3।।

 

चौराहों पर मोम जलाकर ,जमकर शोर मचाओ अब ।

केंद्र राज्य की खींचतान, अखबारों में छपवाओ अब ।

बिटिया की अस्मत पर देखो चैनल कैसे बोलेंगे ।

शव विच्छेदन की आख्या को, विज्ञापन में तोलेंगे ।

ममता की सत्ता ने खुलकर अपराधी पुचकारे हैं ।।

लाश देख आंखें भर आयी सीने में अंगारे हैं ।।4।।

(बंगाल की डॉ मोमिता हत्याकाण्ड पर आधारित )

– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून

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