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बूढा पीपल हैं कहाँ – डॉo सत्यवान सौरभ

अपने प्यारे गाँव से, बस है यही सवाल !

बूढा पीपल हैं कहाँ,गई कहाँ चौपाल !!

 

रही नहीं चौपाल में, पहले जैसी बात !

नस्लें शहरी हो गई, बदल गई देहात !!

 

जब से आई गाँव में, ये शहरी सौगात !

मेड़ करें ना खेत से, आपस में अब बात !!

 

चिठ्ठी लाई गाँव से, जब यादों के फूल !

अपनेपन में खो गया, शहर गया मैं भूल !!

 

शहरी होती जिंदगी, बदल रहा हैं गाँव !

धरती बंजर हो गई, टिके मशीनी पाँव !!

 

गलियां सभी उदास हैं, सब पनघट हैं मौन !

शहर गए गाँव को, वापस लाये कौन !!

 

चिठ्ठी लाई गाँव से, जब यादों के फूल !

अपनेपन में खो गया, शहर गया मैं भूल !!

 

बदल गया तकरार में, अपनेपन का गाँव !

उलझ रहें हर आंगना, फूट-कलह के पाँव !!

 

पत्थर होता गाँव अब, हर पल करे पुकार !

लौटा दो फिर से मुझे, खपरैला आकार !!

 

खत आया जब गाँव से, ले माँ का सन्देश !

पढ़कर आंखें भर गई, बदल गया वो देश !!

 

लौटा बरसों बाद मैं, बचपन के उस गाँव !

नहीं रही थी अब जहाँ, बूढी पीपल छाँव !!

✍ सत्यवान सौरभ, उब्बा भवन,

आर्यनगर, हिसार (हरियाणा)-127045

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