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“श्राद्ध-पर्व” – डा. अंजु लता

श्राद्ध-पर्व हैं पुण्य धरा पर,चली आ रही रीत निरंतर,

तर्पण करके पूज्य जनों का,सुमिरन करते मन के अंदर।

 

चले गए जो हमें छोड़कर, इस धरती पर भवसागर में,

वही दिखाते चले आ रहे, सुपथ,सुमंगल भाव अनंतर।

 

श्राद्ध पर्व में करते तर्पण, उनका, छोड़ गए जो साथ,

परम पूज्य, प्यारे थे हमको, सुमिरन करते उनकी बात।

 

जब भी जन्में हम वसुधा पर,संग-साथ फिर रहे यहाँ,

शुभाशीष दें पथ दिखलाएं,आठ पहर हर दिन और रात।

 

कागा को दें पूरी-खीर,हर प्यासे पाखी को नीर,

दान करें बेबस प्राणी को, जीव-जंतु की हर लें पीर।

 

ऐसे ही पुनीत भावों से ओत-प्रोत हो रखें आस्था,

पुण्य कर्म करके जीवन की निर्मित करें सुखद तस्वीर।

–  डा. अंजु लता सिंह गहलौत, नई दिल्ली

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