मनोरंजन

कृष्ण एक, भाव अनेक – कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

नटवर नागर नंद दुलारे, हृदय हमारे बसते हो।

अद्भुत अनुपम लीलाओं से, भक्तों का मन हरते हो।

 

योग और माया का अंतर, तुमने जग को सिखलाया।

भक्त मित्र को कैसे जीतें, दुनिया को यह दिखलाया।

राधाकृष्ण बने मनमोहन, प्राणवायु सी भरते हो।

 

कूटनीति या राजनीति में, तुम ही थे बेजोड़ बड़े।

तुमको सँग ले जाने खातिर, दोनों थे कर जोड़ खड़े।

सेना दुर्योधन को देकर, खुद अर्जुन सँग चलते हो।

नटवर नागर नंद दुलारे…..

 

श्रीहरि के अवतार कन्हैया, जग आनंदित करते हो।

नटवर नागर नंद दुलारे, हृदय हमारे बसते हो।

 

कर्तव्यों से मुख मत मोड़ें,  जीवन के यह मर्म दिया।

इच्छित फल उसको मिलता है, जिसने निश्छल कर्म किया।

विजय धर्म की हो अधर्म पर, यही सोच तुम रखते हो।

 

सदा सत्य पथ पर चलना है, बीच रणांगन बतलाया।

मोह अधर्मी से मत करना, अर्जुन को था सिखलाया।

गीता के उपदेशों में प्रभु, शब्द-शब्द तुम झरते हो।

नटवर नागर नंद दुलारे…..

– कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश

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