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महिमा बेजोड़ है – अनिरुद्ध कुमार

कजरारी नैंनो में काजल का जोर है,

काँधें पर काँवर लिये बोलबम शोर है।

 

छमके पायलिया तो सावन लहर मारे,

शिव के भजन से आनंदित पोर-पोर है।

 

धानी रंगी परिधान हरी हरी चुड़ियां,

काँवर ले बलखाती पग-पग में जोर है।

 

गीत पे ताल मधुर चाल-ढ़ाल मन मोहे,

लहराये जड़ चेतन लागे की भोर है।

 

मदहोश मदमाती सावनी बदरियों में,

रिमझिम फुहारों से चुनरी सराबोर है।

 

सजना और सजनी सावन में जल ढ़ारे,

सुखदायी जीवन में कितना अंजोर है।

 

रूप रंग शृंगार अदभुत अलोकिक लगे,

त्रिभुवन के स्वामी की महिमा बेजोड़ है।

– अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड

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