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पावस में सावन – कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

पावस अभिन्न अंग हर भाषा हर ग्रंथ,

इस पर हमेशा से ही काव्य रचा जाता है।

भीगी-भीगी वर्षा ऋतु सबके दिलों को भाए,

मेघों और बारिश पे खूब लिखा जाता है।

आषाढ़-सावन-भादों पर्वों की हो धूमधाम,

त्योहारों का उत्साह हर मन पे छा जाता है।

आध्यात्मिक साहित्य में भी पावस दिखाई पड़े,

सदियों सृजित हुआ नित पढ़ा जाता है।

 

सावन की त्रयोदशी शंभु को परम प्यारी,

उपवास रखने वाला भोले का दुलारा है।

पंचामृत अभिषेक बेलपत्र पुष्प चढ़ा,

भक्ति से जो पूजा करे बने शिव प्यारा है।

पंचाक्षर रुद्राष्टक आदि मन से जो जपता,

उसे गौरीपति जी ने भव से उबारा है।

कैलाश के वासी जी में आस्था सब भक्त रखें,

शिव परिवार जन-जन का सहारा है।

– कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश

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