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कहो दोगे ना साथ हमारा – सुनील गुप्ता

( 1 )” कहो ”

दोगे ना साथ हमारा,

कहीं चले तो ना जाओगे हमें छोड़ के  !

बीच राह में यहाँ यूँ ही चलते-चलते…..,

सदैव साथ निभाए, हाथ रखना पकड़ के !!

( 2 ) ” चाहे ”

हो जाए यहाँ कुछ भी,

तुम चले ना जाना, दूर कभी हमसे   !

है तुमसे बँधी मेरी आशाएं ये जिंदगी…..,

हूँ बगैर तुम्हारे,  कुम्हलाए पुष्प सरिखे !!

( 3 ) ” राहें ”

हों अनचाही भले ही,

तुम साथ कभी ना छोड़ोगे पिया  !

और सदा अपने साथ लिए चलोगे हमें….,

भले ही इधर से उधर हो जाए ये दुनिया !!

( 4 ) ” बाहें “,

जो पकड़ी हैं हमारी,

सदा पकड़े ही चलना उन्हें  !

है कसम तुम्हें उन सप्तपदी की…..,

जो संग-साथ मिलके खाईं थी हमने  !!

( 5 ) ” दोगे ”

सदा साथ हमारा प्रिय,

है भरोसा तुमपे मेरे मन मीत  !

और कभी तोड़ोगे नहीं मेरा ये विश्वास…..,

करती कामना, निभाए चली आयी प्रीत !!

सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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